सऊदी अरब से 22 दिन बाद घर पहुंचा युवक का शव तो मच गया कोहराम
1 min readसऊदी अरब से 22 दिन बाद घर पहुंचा युवक का शव तो मच गया कोहराम।
केमिकल फैक्ट्री में करता था काम, 23 मार्च को शौचालय में मृत मिला था युवक।
अमानीगंज अयोध्या
खंडासा थाना क्षेत्र के महुआ गांव निवासी युवक का शव रविवार रात सऊदी अरब से मौत के 22 दिन बाद घर पहुंचा तो समूचे गांव में कोहराम मच गया। सोमवार को शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर भारी संख्या में लोगों ने शोक संवेदना प्रकट की।
गांव निवासी अरुण कुमार (29) पुत्र स्वर्गीय कमलेश कुमार रोजी रोटी के लिए 6 वर्षों से सऊदी अरब की ब्राइट स्टार केमिकल फैक्ट्री में काम करते थे। वे अंतिम बार 7 अक्टूबर को सऊदी अरब गए थे। 23 मार्च को अरुण कुमार शौचालय के अंदर मृत पाए गए। इसके बाद उनके मौत की सूचना सऊदी अरब में साथ ही काम करने वाले उनके चाचा के बेटे सुरेश कुमार ने घर पर दी। कागजी कार्रवाई पूर्ण होने के बाद रविवार देर रात जब उनका शव गांव पहुंचा तो समूचे गांव में कोहराम मच गया। मां और भाई बहनों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों को मृतक के बीमार होने की सूचना दी गई थी, और जब अचानक शव पहुंचा तो सब अवाक रह गए। मृतक के चाचा विमलेश कुमार ने कागजी कार्रवाई पूरी कराकर शव गांव मंगवाया। उन्होंने बताया कि भतीजे की मौत हार्ट अटैक से होने की सूचना मिली थी। सऊदी अरब सरकार द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण नेचुरल डेथ दर्शाया गया है।

परिवार का अकेला कमाऊ सदस्य था अरुण।
अरुण कुमार परिवार का अकेला कमाऊ सदस्य था। वह चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़ा था, एक वर्ष पहले ही पिता कमलेश कुमार की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मृतक व उसके सभी भाई बहन अभी अविवाहित हैं। अरुण की मौत से परिवार पर बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मां और भाई बहनों का एकमात्र सहारा अरुण था। अरुण की मौत से मां और उनके भाई बहन सदमे में है।
पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने शव को स्वदेश लाने की प्रक्रिया में परिवार का किया सहयोग।
मृतक के चाचा विमलेश कुमार ने बताया कि मृतक का शव स्वदेश लाने की कागजी कार्रवाई पूर्व सांसद लल्लू सिंह के दिशा निर्देश पर पूर्ण हुई। पूर्व सांसद ने जिला अधिकारी के माध्यम से विदेश मंत्रालय से पत्र भेजकर शव को स्वदेश लाने की कार्रवाई कराई। उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद ने शव लाने की कार्रवाई में उनका पूरा सहयोग दिया, जिससे परिवार को कहीं भटकना नहीं पड़ा।