December 22, 2024

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रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा बाॅंदा ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये उनकी वीरता तथा शौर्य को स्मरण किया

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रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा बाॅंदा ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये उनकी वीरता तथा शौर्य को स्मरण किया

बाॅंदा, 5 अक्टूबर 2024
चंदेल राजा कीरत राय की वीर पुत्री जिनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 दुर्गाष्टमी को ऐतिहासिक कालजयी दुर्ग कालिंजर बाॅंदा में हुआ था। इस अवसर पर उनकी 500 वीं जयंती को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा बाॅंदा ने पूरे भावपूर्ण तरीके से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बाॅंदा में मनाया। इस क्रम में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा बाॅंदा के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह परिहार ने माल्यार्पण करते हुये बताया कि पांच शताब्दी पूर्व जब विदेशी आक्रांता मुगल बादशाह अकबर ने विशाल सेना तथा भारी तोपखाने के साथ रानी दुर्गावती के राज्य पर आक्रमण किया तब मातृभूमि के सम्मान , स्वाभिमान के रच्छण हेतु वीरांगना दुर्गावती ने मुगलों की सेना को अपने रणचातुर्य तथा शौर्य से दो बार खदेड़ कर उसका मान मर्दन कर दिया। युद्ध के बुरे अनुभव से चिढ़े हुए मुगलों ने कुछ वर्षों बाद अपने जासूसों का जाल फैलाकर पुनः बड़ी तैयारी के साथ हमला किया। सांसारिक सुखों, धन ,जागीर के लालच में अनेकों सरदार गद्दार हो गये थे जिन्होंने मातृभूमि का सौदा अपने निहित स्वार्थों के वशीभूत होकर कर लिया। अन्ततः 24 जून 1564 में रानी दुर्गावती ने बिछिया की पहाड़ी में रणचंडी का रूप धारण कर असंख्य मुगलों को अपनी लपलपाती तलवार से कालकवलित कर दिया किन्तु कुछ गद्दारों की गद्दारी के कारण अन्ततः हजारों सैनिकों के साथ रानी रण में वीरगति को प्राप्त हुईं। कालिंजर बाॅंदा की बेटी का यह बलिदान इतिहास के स्वार्णिम पन्नों में सदा सदा के लिए दर्ज हो गया था।
इस अवसर पर डा० जगरुप सिंह परिहार, एस के सिंह, बी एन सिंह, अजय सिंह गौर, सबल सिंह, डा० शैलेन्द्र सिंह, पतिराखन सिंह चंदेल, डा० इन्द्रवीर सिंह जादौन, अजय सिंह खंगार, सरजू यादव आदि उपस्थित रहे। आज ही सांयकाल इंदिरा नगर बाॅंदा में रानी दुर्गावती के चित्र पर पुष्पार्चन करते हुये प्रबुद्ध वर्ग ने संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें एस एन सिंह ने बताया कि रानी दुर्गावती का हाथी सरमन भी गजब का हिम्मती था जो गरजती हुई तोपों के सामने बिना विचलित हुये सेंधमारी कर उन्हें नेस्तनाबूद करने में दक्ष था। डा० इन्द्र वीर सिंह जादौन ने संगोष्ठी का संचालन करते हुये समापन के अवसर पर कहा –
दुर्गावती नारीत्व की,
सीमा बनी सिरमौर है।
देख लो इतिहास में ,
कोई कहीं क्या और है।।
दुर्गावती की जीवनी में,
शौर्य का आकाश है।
कोमल बहुत है किंतु ,
दिल को चीर दे इतिहास है।।

उमंग सिंह ब्यूरो चीफ बाॅंदा

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