December 23, 2024

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मिल्कीपुर रेप कांड में अखिलेश यादव की खामोशी अब समाजवादी पार्टी पर पड़ रहा भारी

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दर्द-ए-अखिलेश——क्राइम में जाति विशेष ::धर्म विशेष!

योगी बनाम अखिलेश मिल्कीपुर विशेष!

मिल्कीपुर की दलित बेटी पर खामोश अखिलेश!

मिल्कीपुर रेप केस को लेकर सपा नेताओं में मतभेद!

अमानीगंज अयोध्या

मिल्कीपुर रेप कांड में अखिलेश यादव की खामोशी अब समाजवादी पार्टी पर भारी पड़ने लगी है। मिल्कीपुर में सपा के नेता अब अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठने लगे है, पार्टी लाइन से अलग होकर स्टैंड लेने लगे है। क्या M और Y के चक्कर में अखिलेश यादव मिल्कीपुर का उपचुनाव हारने वाले हैं।
जिस जनता के वोट को अखिलेश बदलाव करार देते थे जिस अयोध्या का नाम लेकर संसद से बयान देते थे आज वही लोग अखिलेश यादव को बुला रहे हैं लेकिन वह नहीं जा रहे हैं। जाति देखकर मंगेश यादव, नवाब सिंह यादव और पवन यादव की आवाज उठाने वाले अखिलेश यादव क्या मिल्कीपुर रेप केस में जाति नहीं देखना चाहते। अयोध्या में अखिलेश यादव पहले मोइद खान के साथ खड़े हुए और अब मिल्कीपुर के शहबान पर चुप हैं। क्या अखिलेश यादव के लिए PDA से बड़ा ‘M’Y फैक्टर है। मिल्कीपुर में दलित बेटियों पर रेप हुआ वहां सबसे पहले बीजेपी वाले पहुंचे शाम होते-होते बीएसपी का भी डेलिगेशन पहुंच गया। एक दिन बाद सही कांग्रेस को भी आखिरकार मिल्कीपुर जाना पड़ा। अखिलेश यादव की टाइमलाइन देखिए 5 सितंबर को मंगेश यादव का एनकाउंटर हुआ,अखिलेश ने थोड़ी देर बाद ट्वीट कर दिया और 5 सितंबर को अखिलेश यादव का एक और ट्वीट आया मंगेश के एनकाउंटर को हत्या बताया, 6 सितंबर को अखिलेश ने जाति वाला एंगल सेट कर दिया ,3 अगस्त को अखिलेश यादव डीएनए टेस्ट वाली डिमांड कर दी। अखिलेश यादव ने मंगेश के लिए बैक टू बैक कई ट्वीट किया।नवाब यादव,मोइद खान के समर्थन में डीएनए टेस्ट की मांग की लेकिन मिल्कीपुर वाले अखिलेश यादव का इंतजार करते रहे लेकिन वह नहीं आए। अखिलेश यादव ने दलित बेटी पर एक शब्द भी नहीं कहा। शायद अखिलेश यादव सोच रहे हैं कि अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद है, दलित नेता है, दलित सेंटीमेंट को कंट्रोल कर लेंगे जबकि मुसलमान के खिलाफ बोलने से मुस्लिम वोटो के बिखरने का खतरा है यही वजह है कि उन्होने सब अवधेश प्रसाद पर छोड़ रखा है लेकिन यही ओवर कॉन्फिडेंस अखिलेश यादव को भारी पड़ सकता है। इस बार 2022 जैसा माहौल नहीं है, 2017 जैसा माहौल नहीं है। इस बार दलित वोट बंटेगा क्योंकि इस बार मायावती सबसे एक्टिव है। इस बार मिल्कीपुर से मायावती ने रामगोपाल कोरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। दलित बाहुल्य सीट पर अवधेश प्रसाद को अगर सबसे ज्यादा कोई डैमेज कर सकता है तो राम गोपाल कोरी है मिल्कीपुर में बीजेपी के वोट फिक्स है अगर बीएसपी मजबूती से चुनाव लड़ती है तो सबसे ज्यादा नुकसान सपा का ही होगा, इसका एहसास 2017 के चुनाव में हो गया था। 2017 में मिल्कीपुर में बसपा ने रामगोपाल कोरी को उतारा था रामगोपाल को 46000 वोट मिले थे जबकि अवधेश पासी को 58000 वोट मिले थे।* दलित वोट दोनों के बीच बंटा और आसानी से बाबा गोरखनाथ जीत गए। मिल्कीपुर में दलित वोटर की सियासी ताकत देखें तो इस सीट पर पासी 60000, कोरी 50000, अन्य दलित 10000 टोटल 1,20000 है। उपचुनाव से पहले दलित बेटी के साथ रेप हुआ, रेप शहबान ने किया एक्शन यूपी पुलिस ने लिया, खामोश अखिलेश यादव हैं। इस कांड ने मिल्कीपुर की सियासत बदल दी। पीडीए बात करने वाले अखिलेश यादव मोइद खान केस में पिछडो के साथ नहीं खड़े हुए, मिल्कीपुर रेप केस में पीड़ितों के साथ खड़े नहीं हुए।दोनों केस में आरोपी मुस्लिम है।अखिलेश की चुप्पी को इसी से जोड़ा जा रहा है। अखिलेश यादव जिनकी आवाज बुलंद कर रहे हैं उनके नाम है पवन यादव, नवाब सिंह यादव,मंगेश यादव! इसी बात का असर है कि मिल्कीपुर समाजवादी पार्टी के लोकल दलित नेता पार्टी लाइन से हटकर आ रहे हैं, अवधेश प्रसाद के खिलाफ शंखनाद खुद कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के दलित नेता सूरज चौधरी प्रेस मीडिया को बयान देते हुए कहा कि पार्टी का जो भी टैगलाइन मिलता है वह भी स्वीकार है पार्टी के और भी लोगों को आना चाहिए क्योंकि फजीहत करवा रहे हैं। ऐसे मामलों में माननीय मंत्री अवधेश प्रसाद जी जाते जरूर है लेकिन देर में जाते हैं वहीं फजीहत हो रही है जिसकी शर्मिंदगी जो हमारे कार्यकर्ता जमीन पर कार्य कर रहे हैं उनको भी झेलना पड़ता है। ऐसे मामले में उनको जाना चाहिए और जो सच हो उनके साथ खड़े होना चाहिए क्योंकि अपराधी की कोई जात नहीं होती, अपराधी किसी भी जाति का हो, संप्रदाय का हो,धर्म का हो अगर वह अपराध कर रहा है तो उसके खिलाफ खडा होना चाहिए जो पूरी तरह के लग करके, डंट करके पीड़ित परिवार के साथ खड़ा होना चाहिए।
अखिलेश यादव की जुबान से अचानक PDA गायब है,यादव वाला नारा ज्यादा जोर से लगा रहे हैं और अब योगी सनातन पर आ गए हैं जाति वाले के ऊपर धर्म वाली बात दोहरा रहे हैं। अखिलेश यादव ने अयोध्या को अपना एपीसेटर का केंद्र बनाया था। योगी ने इस एपीसेटर केंद्र की चुनावी ग्रेविटी को कम कर दिया है। अखिलेश अभी तक चुनाव के बाद अयोध्या नहीं गए। शायद उपचुनाव के लिए मिल्कीपुर नहीं जाएंगे और यह सब मिल्कीपुर वाले याद रखेंगे। 15 अगस्त को नाबालिक बेटी के साथ शहबान ने रेप किया। इसके लगातार बाद वो पीड़ित को जबरदस्ती बुलाने लगा। जब पीड़ित जाने से मना किया तो शहबान अपने साथियों के साथ पीड़ित के घर आ धमका। 2 सितंबर को उसने पूरे घर को बम से उड़ाने की धमकी दी और नाबालिक को जबरन उठा ले जाने की बात करने लगा। मिल्कीपुर में इस बुलडोजर की मांग हो रही है जिसको अखिलेश गोरखपुर भेजना चाहते हैं। यूपी में इतना हर किसी को पता है कि चाहे वह किसी जात धर्म से हो योगी है तो इंसाफ जरूर मिलेगा। लोकसभा चुनाव में दलित वोट INDI एलाइंस को मिले, सपा ने ज्यादा सीटे लाई और ज्यादा फायदा भी उन्हें को मिला। परसेप्शन बना कि यूपी के दलित अखिलेश की तरफ शिफ्ट होने लगे। लेकिन यह परसेप्शन 100 दिन के भीतर ही खत्म होते दिख रहा है। अखिलेश जिस तरह ‘M’ ‘Y’वाली सियासत कर रहे हैं उसे न सिर्फ दलित बल्कि गैर यादव भी उनसे दूर जा सकते हैं और ऐसा हुआ तो 2027 का चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए आसान रहने वाला नहीं है।

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