December 23, 2024

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सीएचसी हलधरमऊ में भारी मात्रा में जलाई गई सरकारी दवायें और इंजेक्शन।

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सीएचसी हलधरमऊ में भारी मात्रा में जलाई गई सरकारी दवायें और इंजेक्शन।

जिम्मेदारों का घोर भ्रष्टाचार गंभीर कारनामा आया सामने।

सीएचसी हलधरमऊ के कर्मचारियों द्वारा किया गया आग के हवाले।

सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल।

कर्नलगंज, गोण्डा।

तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ में शनिवार को सरकारी दवाइयाँ और इंजेक्शन जलाने का गंभीर मामला सामने आया है। यहाँ जो दवाएं मरीजों को दी जानी थी वह दीपावली में साफ सफाई के नाम पर आग के हवाले कर दी गईं। इस कारनामे से यहाँ का कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर परेशानी में पड़ता दिख रहा है और सीएचसी प्रशासन की कार्यशैली सवालिया घेरे में है। दरअसल इस घटना का किसी के द्वारा वीडियो बना लिया गया है जो अब बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। आपको बता दें कि एक तरफ जहां प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को हाईटेक करने और बेहतर बनाने के लिए आये दिन दावे करती नहीं थक रही है तो वहीं निचले स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की निरंकुश कार्यशैली और घोर लापरवाही सरकार के दावे की पोल खोलती नजर आ रही है।
मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ से जुड़ा है,यहाँ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें भारी मात्रा में ढेर के रूप में सरकारी दवायें और इंजेक्शन जलते नजर आ रहे हैं। इसमें तमाम दवायें अभी उपयोग में लाने वाली बताई जा रही हैं। बताते चलें कि सीएचसी हलधरमऊ में जो दवाएं मरीजों को दी जानी थी वह कर्मचारियों द्वारा दीपावली में साफ सफाई के नाम पर आग के हवाले कर दी गईं। हैरत की बात यह है कि सीएचसी हलधरमऊ के गेट पर ही दवाएं जला दी गईं और अधीक्षक को दवाएं जलाने का कानो कान भनक नहीं लगी।
इसके बाद से सीएचसी प्रशासन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जैसे आखिर ये दवाएं मरीजों को नही बांटी गई और क्यों जलायी गई। ऐसे में अब सवाल यह भी उठता है कि सीएससी में इन जीवन रक्षक सरकारी दवाओं और इंजेक्शन को क्यों जलाया गया इसकी अनुमति किसने दी,यही नहीं क्या यह कृत्य एनजीटी के नियमों के विरुद्ध नहीं है और गंभीर अपराध नही है।अधीक्षक को दवाएं जलाने की कानो कान भनक क्यों नहीं लगी।आखिर इस दवाओं के जलाने में किस डाक्टर व कर्मचारी का हाथ है और आखिर यह दवाएं मरीजों को नही बांटी गई। सीएमओ गोंडा को जानकारी देने के बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई, जो जिम्मेदार आला अधिकारियों की निरंकुश कार्यशैली को गंभीर सवालिया घेरे में खड़ा कर रहा है।

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