अधिवक्ताओं की पैरवी से दलित उत्पीड़न व दुष्कर्म के झूठे आरोपों से बरी हुआ युवक, दशक बाद आया फैसला
1 min readअयोध्या
अधिवक्ताओं की पैरवी से दलित उत्पीड़न व दुष्कर्म के झूठे आरोपों से बरी हुआ युवक, दशक बाद आया फैसला
मामला जनपद के थाना बीकापुर थाना क्षेत्र से जुड़ा है जहां गाँव की चुनावी गोलबंदी व रंजिश मे पवन चौरसिया को झूठे दलित उत्पीड़न व ब्लात्कार मे मामले मे आरोपी बना दिया गया था ,एफआईआर के अनुसार युवती एक स्थानीय डॉक्टर के क्लिनिक पर काम करती थी गाँव के ही रहने वाले पवन चौरसिया की उस पर बुरी नज़र थी, युवती सुबह जब क्लिनिक पर गयी तो डॉक्टर आये नही थे और वह क्लिनिक पर साफ सफ़ाई करने लगी, युवती जब क्लिनिक के नीचे बेसमेंट पर गई तब आरोपी पवन वहाँ आया और उसने युवती के साथ दुष्कर्म किया, युवती की शिकायत पर 2013 में एफआईआर दर्ज की गई थी, दिनाँक 28 नवम्बर 2024 को जनपद के स्पेशल सेशन जज एसटी /एसटी ने पवन चौरसिया को सभी आरोपों से बरी कर दिया है न्यायालय ने माना आरोपों और गवाहों के बयानो मे समानता नही थी,पवन चौरसिया की पत्नी ग्राम प्रधान की प्रत्याशी रही है गाँव मे चुनाव की पुरानी रंजिश मे रही है और वह सफ़ाई कर्मचारी के पद पर नौकरी भी करता है चुनावी रंजिश के कारण ही उसे निशाना बनाया गया, आरोपी युवती भी पवन के गाँव की ही रहने वाली है आरोपी की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कंचन दूबे एडवोकेट ,दीप नारायण तिवारी एडवोकेट ,चंद्र प्रकाश दूबे एडवोकेट, आनंद कुमार पाण्डेय एडवोकेट ने की है बरी होने के बाद पवन ने न्यायालय व अधिवक्ताओं का न्याय हित की पैरवी के लिए धन्यवाद दिया