पत्रकारिता को कलंकित करने वाले चार्ली गैंग के अपराधी,पत्रकार पर पुलिस ने मुकदमा किया दर्ज
1 min readबांदा प्रेस क्लब ने तथाकथित चार्ली गैंग के अपराधी पत्रकार पर दर्ज कराया धमकी का मामला, तहकीकात जारी
बांदा
बांदा शहर में आजकल पत्रकारिता को कलंकित करने वाले कुछ अपराधी किस्म के छद्म पत्रकारों ने आतंक काट रखा है। जिससे पत्रकारिता जैसे निष्पक्ष पेशे को आम लोग संदेह की नज़र से देखने लगे हैं। ऐसा ही एक छद्म वेशधारी है, इकबाल खान, जोकि वर्तमान में बालू माफियाओं का प्यादा बनकर गाहे बगाहे पत्रकारों को बदनाम करने व उन्हें धमकाने की कोशिश करता रहता है। ताजा मामला है बांदा प्रेस क्लब के सदस्यों को धमकाने का, जिस पर बांदा प्रेस क्लब के महासचिव सचिन चतुर्वेदी ने इकबाल खान पर धमकी देने और जबरन वसूली से संबंधित मामला बांदा नगर कोतवाली में दर्ज कराया है।
घटना की जानकारी महासचिव सचिन चतुर्वेदी ने बांदा पुलिस को एक प्रार्थना पत्र के रूप में दी, जिस पर नगर कोतवाली में भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(4), 352 और 351(2) के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया है। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि उसे धमकियां दी गईं, जो उसे भयभीत करने और दबाव में लाने का प्रयास था। इन घटनाओं से परेशान होकर उसने पुलिस का दरवाजा खटखटाया।
एफआईआर में सचिन चतुर्वेदी ने इकबाल खान पर आरोप लगाया है कि उसने बांदा प्रेस क्लब के कैंप कार्यालय में आकर पहले तो स्वयं को सदस्य बनाने की बात की, पर जब बात नहीं बनी तो उसने वहां मौजूद सभी को बदनाम करने की धमकी तक दे डाली। इतना ही नहीं, बांदा प्रेस क्लब के अध्यक्ष तथा सदस्यों को बदनाम करने के लिए अपने अखबार में फर्जी खबरें छापीं। इस पर जब अखबार को कानूनी नोटिस दी गई तो उसने राह चलते महासचिव और उपाध्यक्ष संजय मिश्रा को जान माल के नुकसान की धमकी भी दे डाली। इस पूरे प्रकरण के बाद बांदा प्रेस क्लब ने मामला दर्ज कराने के बाद पुलिस से जांच करने और इकबाल खान के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की है।
आपको बता दे कि पिछले दिनों कुछ महिला पत्रकारों में भी इकबाल खान के ऊपर मामला दर्ज कराया था, क्योंकि उसने उन महिला पत्रकारों के खिलाफ अपने अखबार में अनुचित और अशोभनीय टिप्पणियां प्रकाशित की थीं। इन महिला पत्रकारों में पुलिस अधीक्षक से मिलकर इकबाल खान पर पन्ना जिले के कुख्यात चार्ली गैंग का सदस्य होने का आरोप भी लगाया था।
दरअसल यह पूरा मामला इकबाल खान के बालू माफियाओं से संबंध को उजागर करता है। कुछ बालू माफिया इकबाल खान को अपना प्यादा बना कर पत्रकारों को मैनेज करने का काम करते हैं। और जो पत्रकार इससे मैनेज होने से मना कर देता है उसे यह अपने अखबार के माध्यम से बदनाम करने लगता है। पत्रकारों का मामला होने से शासन प्रशासन सहित पुलिस भी इस प्रकरण में उलझने से बचती है परंतु बार-बार कभी महिला पत्रकारों को टारगेट करना तो कभी पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन बांदा प्रेस को टारगेट करना अब इकबाल खान को महंगा पड़ने वाला है। क्योंकि अब इस छद्म वेशधारी कुख्यात पत्रकार को सबक सिखाने के लिए बांदा के पत्रकार एक हो गए हैं।
इकबाल खान का संदिग्ध इतिहास
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इकबाल खान का अतीत भी विवादास्पद रहा है। बताया जाता है कि वर्ष 1985 से 1996 के बीच, मध्य प्रदेश के रीवा और पन्ना जिलों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामलों के रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। पन्ना में चार्ली गैंग के सदस्य के रूप में काम करने का भी उस पर आरोप है। क्योंकि इकबाल खान ने बांदा प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को अपना यही परिचय देते हुए धमकी दी थी। इसलिए पत्रकारिता जैसे सम्मानित पेशे का दुरुपयोग कर अवैध गतिविधियों को छुपाने और सच की राह में खड़े पत्रकारों को धमकाने की कोशिश पूरे समाज के लिए घातक है। लेकिन इस प्रकार की धमकी देना अब इकबाल खान को भारी पड़ने वाला है।
पुलिस की प्रतिक्रिया
पुलिस ने बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला गंभीर है, और जांच में सभी पक्षों को शामिल किया जाएगा। पुलिस के अनुसार, जल्द ही आरोपी को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, और इस मामले से जुड़े साक्ष्यों की पुष्टि की जाएगी।
वहीं पर अब देखने की बात यह है कि पुलिस प्रशासन के द्वारा कारवाई की जाती है या लिपापोती यह बड़ा सवाल
संजय मिश्रा, उपाध्यक्ष
बांदा प्रेस क्लब