प्राथमिक विद्यालयों के परिसर में कीचड़ युक्त जल भराव होने से छात्र छात्राओं तथा शिक्षकों को हो रही परेशानियां
1 min readशिक्षा क्षेत्र मवई के दर्जनों कंपोजिट तथा प्राथमिक विद्यालयों के परिसर में कीचड़ युक्त जल भराव होने से छात्र छात्राओं तथा शिक्षकों को हो रही परेशानियां
अयोध्या
जनपद के रुदौली क्षेत्र अंतर्गत विकासखंड/ शिक्षा क्षेत्र मवई के दो दर्जन से अधिक कंपोजिट तथा प्राथमिक विद्यालयों के परिसर में कीचड़ युक्त जलभराव होने से कुछ और कहानी बयां कर रहा है। प्राथमिक विद्यालय हमीरपुर, कंपोजिट विद्यालय बाबा बाजार, प्राथमिक विद्यालय धनौली, प्राथमिक विद्यालय पठान पुरवा, कंपोजिट विद्यालय सुल्तानपुर, प्राथमिक विद्यालय दुर्गीं का पुरवा, जूनियर हाई स्कूल जयसुखपुर, प्राथमिक विद्यालय कामापुर, कंपोजिट विद्यालय नेवाजपुर ,प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर, सहित अन्य विद्यालयों के परिसर में जल-भराव होने के कारण विकास कार्यों का पोल खोल दिया है।
उक्त कंपोजिट तथा प्राथमिक विद्यालयों की दुर्दशा तथा कीचड़ युक्तजलभराव ,परिसर में उगी बड़ी-बड़ी घास स्वच्छ भारत सुंदर भारत के उद्बोधन की धज्जिया उड़ा रही है संबंधित ग्राम प्रधान, प्रधाना ध्यापक और ब्लॉक विभाग के अधिकारी कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध है अभिलेखों में स्वच्छता शत प्रतिशत भले हो, परंतु मौके पर स्थिति बद से बद्तर, उपर्युक्त सभी शिक्षण संस्थानों में शिक्षारत छात्र- छात्राओं को कीचड़ युक्त पानी से होकर जाना पड़ रहा है अपने-अपने शिक्षण कच्छ ,उक्त विद्यालयों में के चतुर्दिक उत्थान तथा विकास के नाम पर हुई घपलेबाजी, जिसका जीता जागता प्रमाण है कीचड़ युक्त जलभराव जो है सामने दिखाई पड़ रहा है।उपर्युक्त सभी विद्यालयों में शिक्षारत बालक /बालिकाओं तथा शिक्षकों को उक्त कीचड़ युक्त पानी में प्रवेश होकर शिक्षण कक्ष जाना पड़ रहा है। इस दूषित पानी से पांव में विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों का प्रकोप हो जाने की आशंका खाये जा रही, है, परंतु जल निकासी का समाचार प्रेषण तक कोई व्यवस्था किसी के भी द्वारा सुनिश्चित नहीं कराई गई ,जो चिंता का विषय बना हुआ है, जहां एक और शासन की मंशा के अनुरूप प्रशासन द्वारा बार-बार स्वच्छ भारत/ सुंदर भारत का नारा देकर नित नई व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाती हैं, वही उक्त कंपोजिट तथा प्राथमिक विद्यालयों में कीचड़ युक्त जल भराव होने की कहानी कुछ और बयां कर रही है, अगर समय रहते उक्त जल निकासी की व्यवस्था संबंधित विभाग द्वारा कार्यदायी संस्था द्वारा कराया गया होता ,तो शायद यह दिन नहीं देखने पड़ते जिसका खामियाजा विद्यालयों में शिक्षार्जन कर रहे बालक/ बालिकाओं तथा शिक्षा दे रहे शिक्षकों को मौजूदा समय भुगतना पड़ रहा है,