March 16, 2025

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जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ पद पर था फर्जी डॉक्टर विनोद सिंह

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अयोध्या

जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ पद पर था फर्जी डॉक्टर विनोद सिंह
▪️एसआईसी ने रोक दिया था वेतन, तो नाराज होकर दे दिया इस्तीफा

जिला चिकित्सालय अयोध्या के फर्जी डॉक्टर विनोद कुमार सिंह का प्रमाणपत्रों के साथ नाम भी फर्जी होने का मामला चर्चा में है। वर्ष 2013 में बस्ती जिला अस्पताल में एमडी मेडिसिन की डिग्री पर गेंदा सिंह के नाम से सर्विस कर रहा था। जहां बीआरडी मेडिकल कॉलेज के सत्यापन में फर्जी पाए जाने पर बस्ती जिला अस्पताल के तत्कालीन प्रमुख अधीक्षक डॉ पीके सिंह की तहरीर पर पुलिस ने 12 मई 2013 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
जिला अस्पताल अयोध्या में डॉक्टरों की कमी थी। शासन से पत्राचार के बाद यहां करीब 4 माह पूर्व कार्डियोलॉजिस्ट पद पर डॉक्टर विनोद सिंह के नाम से तैनाती प्राप्त कर ली। यहां मानव सम्पदा पोर्टल पर इंट्री के दौरान ज्वाइनिंग के प्रमाणपत्रों के क्रमांक में गड़बड़ी पर जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ उत्तम कुमार ने वेतन आहरण पर रोक लगा दी। जिसके बाद शनिवार को इस्तीफा देकर डॉक्टर विनोद कुमार सिंह भाग निकला।
बुधवार को जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर उत्तम कुमार ने बताया कि मानव सम्पदा पोर्टल पर इंट्री के लिए जो कागजात प्रस्तुत किए उसमें कुछ त्रुटियां थीं जिससे वेतन रोका गया। जवाब में डॉक्टर विनोद सिंह ने इस्तीफा दे दिया जिसे डीजी कार्यालय भेज दिया गया है। फिलहाल जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

▪️कई जिलों में प्राइवेट प्रैक्टिस कर चुका है कथित डॉ विनोद सिंह

 विश्वस्त सूत्रों और चर्चाओं के मुताबिक 2005 में बरेली के नवाबगंज में क्लिनिक खोलकर डॉ. विनोद कुमार राठौर के साथ प्रैक्टिस करने लगा। जांच में फर्जी पकड़े जाने पर थाना नवाबगंज में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया। 2011 में जनपद सोनभद्र के चोपन सीएचसी में संविदा पर नौकरी की। 2012 में अंजनीपुर फैजाबाद में क्लिनिक खोला और सीएचसी हरैया बस्ती के सामने गुप्ता मेडिकल स्टोर पर बैठता था। साथ ही प्रत्येक रविवार को डुमरियागंज थाने के बेंवा में भारत मेडिकल स्टोर पर डॉ. जीएस भदौरिया के नाम से प्रेक्टिस करता था।
   खास बात यह कि असली नाम इसका बांके लाल राजभर निवासी थाना पवई जनपद आजमगढ़ बताया जा रहा है। अधिकतर जिलों में इसकी पोल खुलती रही। जेल जाता रहा फिर जेल से छूटते नए नाम से डॉक्टर बनकर तैनाती भी पा लेता है लेकिन जांच का क्या होता है इसकी जानकारी कोई भी अधिकारी नहीं देता है।

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