*अधिकार तुम्हारे जायज पर, कर्तव्यों से मत टलना सीखो-ऋतुराज खरे*
1 min readअधिकार तुम्हारे जायज पर, कर्तव्यो से मत टलना सीखो
बाँदा-
(ऋतुराज खरे की कलम से)
गिरगिट जैसा रंग बदलते, मन को आज बदलना सीखो. .
आसमान पर उड़ने वाले, धरती पर भी चलना सीखो.
जब जब उतरे तुम धरती पर, बस हवा हवाई बाते की.
जिन्होंने तुमको पंख दिए, उनके ही दिल पर घाते की.
जाने किस दिन हो जाये अस्त, तेरा गौरव मत छलना सीखो..
आसमान पर उड़ने वाले धरती पर भी चलना सीखो.
मानव हो तो मानवता का कुछ ज्ञान जुटा लो जीवन में
जाँचो परखो अनुमान लगालो, कितना सुख इस बंधन में. .
अधिकार तुम्हारे जायज पर, कर्तव्यो से मत टलना सीखो
आसमान पर उड़ने वाले धरती पर भी चलना सीखो.
वक्त थपेडे कब जड़ दे, इसका तुमको अनुमान नहीं
कब टूटेगा पंख तुम्हारा, इसका भी कुछ ज्ञान नहीं.
यही समय है धरती पर आकर, गिरना और सम्हलना सीखो. .
आसमान पर उड़ने वाले धरती पर भी चलना सीखो.
('''Rituraj khare''")
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