जनपद बाँदा. तहसील अत्तर्रा के लेखपाल की महिमा अपार- चकरोड 1588 की स्थिति ज्यों की त्यों-तहसील टीम ने चकरोड का नहीं कराया सीमांकन–#
1 min read महुआ-30-अक्टूबचकरोड कब्जामुक्त कराने की प्रार्थी की समस्या जस की तस. मामला जनपद बाँदा के. तहसील अत्तर्रा. मौजा महुआ का है।चकरोड संख्या 1588 को कब्जा मुक्त कराने के लिए रामप्रकाश पाण्डेय ने तहसील दिवस अत्तर्रा मे प्रार्थना पत्र दिया।लेखपाल रामशेखर व राजस्व निरीक्षक ने मय पुलिस पैमाइश करते हुए अंकुर बाजपेयी को चकरोड कब्जाधारक बताकर कब्जा हटवा दिया।कब्जा हटाने के बाद चकरोड पुनः पूर्व की स्थिति में आ गया।रामप्रकाश पाण्डेय ने पुनः प्रार्थना पत्र देकर चकरोड कब्जा मुक्त कराने की गुहार तहसील दिवस मे लगाया।लेखपाल रामशेखर पाँच कडी कब्जा होना व धान कटने के बाद चकरोड खाली कराने की रिपोर्ट लगाकर भेज दिया।प्रार्थी संतुष्ट नहीं हुआ।
आज दिनांक 30-अक्टूबर-2024 को लेखपाल रामशेखर .राजस्व निरीक्षक. नायब तहसीलदार व पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँचकर मौके पर साहब से लेखपाल ने कहा कि विधायक जी ने कहा है कि….. क्या कहा है ये मौके पर मौजूद व्यक्तियों को नहीं पता चला।चारों तरफ जरीब चलाई गई और रकबा का जोड घटाव हो गया लेकिन जो मौके पर रिपोर्ट बनाई गई उसमें चकरोड का रकबा नहीं लिखा गया। कल तक जिन्हें चकरोड 1588 का कब्जाधारी बताया उन्हें घुमाफिराकर चकरोड मे इनके द्वारा कब्जा नहीं किया गया की रिपोर्ट बनाई गई।नक्शा दुरस्ती की बात रिपोर्ट में लिखी गई लेकिन मुकदमा नंबर और चकरोड न निकालने का क्या स्टे मिला हुआ उल्लेख नहीं किया गया।बगल के खातेदार की तरफ बीस कडी होना बताकर टीम ने खाना पूर्ति कर दिया।जबकि बगल के काश्तकार का कहना है कि इनका नक्शा दुरस्ती का मुकदमा कमिश्नरी झांसी से पहले खारिज हो चुका है।
आखिर चकरोड मे कौन कब्जा किए हैं।आज की कार्यवाही में चकरोड का सीमांकन क्यों नहीं किया गया। लेखपाल की आख्या मे जिन्हें पहले कब्जा धारी बताया गया उन्हें कब्जा मुक्त का प्रमाण देने के लिए सारी नौटंकी की गई।क्या लेखपाल विधायक का नाम लेकर उच्च अधिकारियों को गुमराह करने का काम किया है।आखिर चकरोड संख्या 1588 का सीमांकन कब होगा।इस चकरोड का उपयोग करने वाले क्या अधिकारियों के यहाँ चक्कर लगाते रहेंगे।प्रार्थी अब उच्चाधिकारियों को लेखपाल की सभी रिपोर्टों के साथ अपनी व्यथा सुनाने को तैयार।जरूरत पडी तो मुख्यमंत्री सुनवाई दिवस पर लखनऊ या गोरखपुर में यशस्वी लोकप्रिय मुख्यमंत्री के समक्ष उपस्थित होकर पूरे प्रकरण से उन्हें अवगत कराकर चकरोड कब्जा मुक्त की फरियाद करने को प्रार्थी तैयार।यदि यहां से न्याय नहीं मिला तो माननीय उच्च न्यायालय की शरण अंत में लेना बताया मजबूरी।
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