गायत्री पब्लिक स्कूल में मनाया गया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती
1 min readमिल्कीपुर अयोध्या
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर गायत्री पब्लिक स्कूल रेवतीगंज में दोनों महापुरुषों को श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। प्रबन्धक उमा शंकर शुक्ल के साथ विद्यालय के सभी शिक्षकों ने गांधी जी और शास्त्री जी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की। इसके पश्चात हुई संगोष्ठी में दोनों महापुरुषों द्वारा स्थापित उच्च स्तर के आदर्शों पर चर्चा की गई। प्रबन्धक उमा शंकर शुक्ल ने कहा कि गुजरात की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दीवान के बेटे महात्मा गांधी श्रवण और हरिश्चंद्र की जीवनशैली के कायल होने के साथ साथ भगवत गीता में भी आस्था रखते थे। अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताने के दौरान भारतीयों के अधिकारों में सुधार के लिए भी लड़ाई लड़ी और भारतीय समुदाय के नेता बने। 78 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले बापू का कहना था कि “ऐसे जियो जैसे कि तुम्हे कल मरना है और ऐसे सीखो जैसे कि तुम्हें हमेशा के लिए जीना है।” गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु मानने वाले गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व कर गुलाम देश वासियों के दिलों में आजाद भारत की अलख जगाई।
प्रधानाचार्या शिखा दूबे ने कहा कि साफ सुथरी छवि के धनी देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को सभी दल सम्मान देते थे। वे आज़ादी की लड़ाई में कई बार जेल भी गए और कुल मिलाकर 9 साल तक जेल में रहे। जाति व्यवस्था के विरोधी शास्त्री जी ने 12 वर्ष की उम्र में ही अपना उपनाम “श्रीवास्तव” छोड़ दिया था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें “शास्त्री” की उपाधि दी गई। बीच में ही पढ़ाई छोड़कर आजादी की लड़ाई के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। सेना के जवानों और किसानों के महत्व बताने के लिए उन्होंने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया। देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले केन्द्र में कई मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले शास्त्री जी का हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने में भी महान योगदान रहा। इस अवसर पर प्रभा शंकर शुक्ल, राम सूरत तिवारी, नीलम, नरेंद्र आदि मौजूद रहे।