BEO भदैया द्वारा प्रधानाध्यापक को दिए गए मनमाने मौखिक आदेश से ब्लॉक के रसोइयों को मिली राहत
1 min readभदैया सुल्तानपुर
भदैया बीईओ ने विभागीय व्यवस्था से ऊपर उठकर दिया मनमाना मौखिक आदेश
स्कूल में एमडीएम खिलाकर रसोईया को तुरंत छुट्टी देने का प्रधानाध्यापक को दिया मौखिक आदेश
बिना उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर बनाए सरकारी स्कूल में नौकरी कर रहीं हैं रसोईया
BEO भदैया द्वारा प्रधानाध्यापक को दिए गए मनमाने मौखिक आदेश से ब्लॉक के रसोइयों को मिली राहत।
बीआईओ भदैया ने बालमपुर जूनियर हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक राज कुमार तिवारी को निरीक्षण के दौरान मौखिक आदेश दिया था कि स्कूलों में कार्यरत रसोईया एमडीएम खिलाकर बर्तन की साफ सफाई करके घर चले जायेंगें।
तब से प्रतिदिन BEO भदैया के उक्त मौखिक आदेश का हवाला देकर बालमपुर स्कूल के दोनों रसोईया मध्याह्न 12 बजे के पहले पहले ही प्रभारी प्रधानाध्यापक से प्रतिदिन लड़ाई झगड़ा करके घर चले जाते हैं।
उनकी इस नजीर पर अब भदैया ब्लॉक के सभी स्कूलों के रसोईया ऐसा ही करने लगे हैं।
इस मौखिक मनमाने आदेश के संबंध में जब राज कुमार तिवारी विद्यालय प्रभारी ने किसी विभागीय नियम निर्देश और लिखित आदेश की मांग किया तो BEO भदैया चुप्पी साधे लिए परंतु उनका कहना है कि प्रधानाध्यापक का वेतन एक लाख रुपए मासिक के लगभग है जबकि रसोईया केवल दो हजार रुपए मासिक पाते हैं इसलिए उनका काम सरकारी स्कूलों में पार्ट टाइम का है बाकी समय में वे मेहनत मजदूरी करके कुछ अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं ।
उन्हें पूरे दिन स्कूल में बैठे रखने का कोई मतलब नहीं है।
BEO भदैया उदय राज मौर्य द्वारा दिए गए इसी अल्प वेतन के तर्क के आधार पर अब सरकारी स्कूलों और अन्य सरकारी विभागों में सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा नियुक्त कर्मचारियों तथा संविदा पर नियुक्त कर्मचारी एवं अल्प नियत वेतन भोगी शिक्षामित्र,अनुदेशक,कंप्यूटर ऑपरेटर,संविदा लेखाकार आदि विभिन्न पदों पर नियुक्त कर्मचारियों को पूरे समय कार्यालय अवधि में कार्य न करा कर वेतन के हिसाब से पार्ट टाइम जॉब लेकर जल्दी छुट्टी मिलने की व्यवस्था मिल सकती है।कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह एक जिम्मेदार पद के सरकारी
अधिकारी द्वारा दिया गया गैर जिम्मेदार बयान है जिसके लिए कोई सरकारी नियम नहीं है कि जिसे कम वेतन या मानदेय दिया जाय उससे कम घंटे काम कराकर छोड़ दिया जाए और जी ज्यादा वेतन पा रहा है उससे ज्यादा घंटे कार्य कराया जाए। इस तर्क योग्यता,अनुभव और कार्य के महत्व के सिद्धांत की उपेक्षा करके मौखिक आदेश दिया गया है जो न्यायोचित नहीं प्रतीत होता है।