परमिशन के नाम पर हो रहा अवैध मिट्टी खनन का खेल प्रशासन खामोश
1 min readपरमिशन के नाम पर हो रहा अवैध मिट्टी खनन का खेल
गोण्डा
शासन-प्रशासन की सख्ती से क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन लगभग थम सा गया है। क्षेत्र में बीते कुछ माह में अवैध मिट्टी खनन की छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो हम यह कह सकते हैं कि प्रशासन खनन माफियाओं पर लगभग नकेल लगा चुका है। लेकिन अब कुछ खनन माफिया प्रशासन की आंख में धूल झोंकने का प्रयास कर रहे हैं। ये खनन माफिया खासकर वन क्षेत्र में सक्रिय हैं जिनमें अंकित सिंह, विनय पाठक और राजन यादव प्रमुख हैं। ये खनन माफिया परमीशन बनवाकर स्थानीय जिम्मेदारों से सांठगांठ कर अनुमति से अधिक मिट्टी खनन कर उसकी बिक्री कर रहे हैं। क्षेत्र के सरायखत्री गांव के जटमल पुर मजरे में रामविलास यादव के खेत से बीते 03 दिनों में सैकड़ों ट्राली मिट्टी का खनन माफियाओं ने कर डाला। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि यह अवैध खनन अंकित सिंह और राजन यादव ने किया और मिट्टी बेच ली। इस संबंध में हल्का लेखपाल रवीन्द्र प्रजापति ने कहा कि 100 घन मीटर की परमीशन बनी है। जबकि मौके पर परमीशन से कई गुना मिट्टी का खनन किया गया है। इस पर रवीन्द्र प्रजापति ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है और वह मौके पर नहीं गये हैं जबकि वह खनन स्थल से महज 200 मीटर की दूरी पर मौजूद थे। ये वही लेखपाल हैं जिनकी कारस्तानी के चलते एक महिला गोंडा मुख्यालय पर पानी की टंकी पर चढ़ गई थी जिसके बाद इन लेखपाल महोदय को सस्पेंड कर दिया गया था। पिछले हफ्ते नरेंद्र पुर गांव के सरकारी तालाब पर रात में खनन माफिया विनय पाठक द्वारा जेसीबी से मिट्टी खनन किया जा रहा था लेकिन जब इसकी भनक प्रशासन को हुई मौके पर पुलिस फोर्स भी पंहुची लेकिन तब तक खनन माफिया वहां से फरार हो चुका था। परसापुर गांव में भी कुछ दिन पूर्व खनन माफिया राम नरेश परमीशन बनवाकर मिट्टी खनन करवा रहा था लेकिन जब लेखपाल हीरामणी मिश्रा ने मौके पर पंहुचकर जांच की तो पता चला कि अनुमति से सैकड़ों ट्राली अधिक मिट्टी का बिक्री हेतु अवैध रूप से खनन किया गया है। ये सभी खनन माफिया इतने दबंग हैं कि ये अपने अवैध खनन के गोरखधंधे में खलल पड़ता देख फौजदारी पर आमादा हो जाते हैं। इस संबंध में उपजिलाधिकारी भारत भार्गव ने कहा कि मामलों की तत्काल प्रभाव से जांच कराई जायेगी और इसमें संलिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। इन सभी मामलों में स्थानीय जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।