March 31, 2025

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समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने उठाया ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर सवालिया निशान,मौके पर बिखरा पड़ा गृहस्थी का सामान तिसरे दिन पीड़ित के घर जला चूल्हा

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पारा खानी में तीसरे दिन जला पीड़ित महिला के घर चूल्हा,

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने उठाया ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर सवालिया निशान,मौके पर विखरा पड़ा गृहस्थी का सामान,

अयोध्या।
मिल्कीपुर तहसील के पारा खानी गांव में तहसील प्रशासन द्वारा किए गए ध्वस्ती करण की कार्रवाई की जद में आए परिवार के घर आज तीसरे दिन खुले मैदान में चूल्हा जला है घर के छोटे-छोटे बच्चे भूख और प्यास से तड़पते रहे। वही आज स्थानीय मीडिया और जिले की मीडिया की टीम जब पीड़ित परिवार के घर पहुंचकर घटना का स्थलीय निरीक्षण कर रही थी तो घर का बिखरा हुआ सामान और छोटे-छोटे बच्चों की दशा देखकर हर किसी के आंखों में आंसू छलक पड़े। मौके पर मौजूद ग्रामीणों की भीड़ भी प्रशासन को कोसने से बाज नहीं आ रही थी।
खास बात यह है कि पारा खानी गांव की गाटा संख्या 301 में 80 ईयर जमीन हर्जन आबादी के नाम पर दर्ज है। जिसमें दो परिवारों ने कब्जा करके अपना रहन-सहन प्रारंभ कर दिया है यह जमीन पीड़िता गायत्री के पति हनुमान प्रसाद के नाम पहले से ही खतौनी में दर्ज थी और चकबंदी के बाद सड़क के किनारे की यह जमीन हर्जन आबादी में दर्ज कर दी गई है इस गाटे के पीछे गाटा संख्या 304 जिसका रकबा 217 ईयर बताया गया है।जो आज भी हनुमान प्रसाद के नाम दर्ज है यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब तहसील प्रशासन ने आई जी आर एस के निस्तारण के नाम पर बुलडोजर लेकर गरीब महिला के आसियाना को ध्वस्त किया तो उसके बगल में इस गाटे में बने हुए दूसरे घर को क्यों छोड़ दिया गया है। इस बात का जवाब जब उप जिलाधिकारी मिल्कीपुर से चाहा गया तो वह पत्रकारों की टीम को देखकर पहले अपने ऑफिस से कोर्ट पर और फिर कोर्ट से पीछे के दरवाजे से निकलकर अपने आवास की ओर चले गए और पत्रकार घंटों तक इंतजार करते रहे।
वहीं ग्रामीण और महिलाओं का यह कहना था कि इसके पहले इस गांव में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति ने आई जी आर एस डाला है उसका घर इस कुर्मी का पुरवा गांव से बगल के गांव में स्थित बखिया का पूरवा में है और उसका घर स्वयं तालाब के नंबर पर बना हुआ है। और वह मिल्कीपुर तहसील में दलाली का काम भी करता है क्योंकि समय-समय पर मिल्कीपुर तहसील में प्राइवेट मुंशी और दलालों का काम जग जाहिर होता रहा है। जिसको लेकर स्थानीय अधिवक्ता और पत्रकारों में भी रोष देखा जाता रहा है एक बार तो मिल्कीपुर में अधिवक्ताओं ने इसी बात को लेकर एक लंबी हड़ताल भी कर दी थी।
इस पूरे प्रकरण को लेकर उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कमेटी ने अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से घटना का वीडियो शेयर करते हुए मिल्कीपुर तहसील प्रशासन के कार्यवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता और स्थानीय मीडिया इंचार्ज संजय तिवारी का कहना है कि भाजपा सरकार में दलित उत्पीड़न की भरमार हो गई है बिना नोटिस दिए हुए किसी भी गरीब के मकान को ध्वस्त करना कहां का न्याय है उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को साफ-साफ निर्देश दे दिया है कि बिना नोटिस के किसी के भी घर पर बुलडोजर नहीं चलेगा तो यह न्याय का कौन सा तरीका है। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद का कहना है कि वह पूरे मामले पर नजर रख रहे हैं और संसद की कार्यवाही से जैसे ही वह जिले में आते हैं पीड़ित परिवार से मिलकर उसे न्याय दिलाने का कार्य करेंगे। उन्होंने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि बिना नोटिस के कैसे किसी का घर गिरा दिया जाएगा उनका यह भी कहना था कि जब इस बात का कानून बन गया है कि दलित आबादी की जमीन पर यदि कोई दलित परिवार पिछले 10 से 12 वर्षों से निवास कर रहा है तो उसे परमानेंट कर दिया जाएगा ना कि उसके घर को जमीदोज कर दिया जाएगा वही सत्ता पक्ष के नेताओं से जब इस मामले में पूछा गया तो वह बगल झांकने लगे और उनके मुंह से कोई प्रतिक्रिया नहीं निकल सकी। वहीं इस पूरी खतौनी पर 384/2023 सिविल कोर्ट में दीवानी का मुकदमा विचाराधीन है जिसकी अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित है जिसमें दिए गए नजरी नक्शे में साफ-साफ पीड़िता का घर और शौचालय के साथ-साथ पड़ोसी का घर दर्ज है।जबकि मिल्कीपुर तहसील प्रशासन यह कहता है कि पीड़िता ने 15 दिन पहले टीन सेट रखकर जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया गया था। उसे हटवा दिया गया है पीड़िता के घर के सामने बने शौचालय और कब्र को ग्रामीणों ने 15 वर्ष पुराना बता रहे थे।
जबकि जिलाधिकारी अयोध्या चंद्र विजय सिंह ने इस मामले में जांच और आवश्यक कार्यवाही के लिए उप जिलाधिकारी को ही निर्देशित किया है जबकि उपरोक्त संपूर्ण घटनाक्रम में उप जिला अधिकारी की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है तो तहसील प्रशासन से पीड़ित परिवार न्याय की अपेक्षा भी छोड़ चुका है सूत्रों का कहना है कि सिविल कोर्ट मामले में 21 अप्रैल को डेट लगी है और परिवार इस मामले में कोर्ट आफ कंटेंप्ट की कार्रवाई भी करने पर विचार कर रहा है।

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