घूसखोर महिला दरोगा को एंटी करप्शन टीम ने दस हजार रिश्वत लेते किया गिरफ्तार
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वाराणसी।
एंटी करप्शन टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी हैं। जहां लंका थाने में तैनात महिला दरोगा को 10 हजार रुपये घूस लेते हुए टीम ने गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के अनुसार, एंटी करप्शन के पास शिकायत की गई थी कि दहेज उत्पीड़न के एक मामले में जांच के दौरान उन्होंने परिवार वालों से 10000 रुपये की डिमांड की थी। इस पर पीड़ितों ने सूचना एंटी करप्शन को दी। जिसके बाद टीम ने महिला दरोगा को पकड़ लिया। इस घटना के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। महिला दरोगा अनोभा तिवारी वर्ष 2019 बैच की हैं। उन्हें मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिली थी।
वाराणसी के लक्सा इलाके में रहने वाले राजीव शर्मा की बेटी श्रेया शर्मा ने अपने ससुरालीजनों के खिलाफ दहेज एक्ट का केस दर्ज कराया था। इसकी जांच लंका थाने में तैनात महिला रिपोर्टिंग चौकी इंचार्ज अनुभा तिवारी कर रही हैं। केस में अब तक अनुभा ने वादी और गवाहों के बयान दर्ज किए। विपक्ष के लोगों के बयान भी लिए हैं।
आरोप है कि केस की विवेचना पूरी होने के बाद दरोगा ने श्रेया शर्मा से उसके पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिए 20 हजार रुपए मांगे। श्रेया ने रुपए देने से मना कर दिया। तब अनुभा तिवारी उन्हें धमकाने लगीं।
श्रेया ने कहा- अनुभा धमकी दे रही थीं कि अगर पैसा नहीं दिया तो तुम्हारे केस में फाइनल रिपोर्ट लगा देंगे। इसका मतलब कि ससुराल के लोगों को क्लीन चिट दे दी जाती। पिता राजीव शर्मा ने भी दरोगा से मुलाकात की, लेकिन वह जिद पर अड़ी रहीं। फिर 10 हजार रुपए देने की डील फाइनल हो गई।
महिला दरोगा के लगातार रिश्वत मांगने से परेशान राजीव शर्मा एंटी करप्शन आफिस पहुंचे और पूरा मामला बताया और दस्तावेज दिखाए। ACO ने निरीक्षक सहवीर सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया और रिपोर्टिंग चौकी लंका पर भेज दिया। तय प्लान के अनुसार एंटी करप्शन की टीम ने नोटों पर रंग लगाकर राजीव शर्मा को दिया और बेटी को भी साथ लेकर चौकी पर भेज दिया।
राजीव ने महिला दरोगा को नोट दिए। उन्होंने नोट लेकर गिने और जेब में रख लिए। चंद मिनट में बाहर तैनात टीम ने दरोगा अनुभा तिवारी को दबोच लिया और हाथ धुलाए। एंटी करप्शन ने नगदी के साथ हिरासत में ले लिया और कैंट थाने लेकर आई। जहां ट्रैक टीम प्रभारी की तहरीर पर केस दर्ज किया गया।
अनुभा तिवारी 2019 बैच की दरोगा हैं। पति की जगह मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिली थी। जिसके बाद उनकी पहली तैनाती बनारस में ही थी। उनके खिलाफ पहले कितनी शिकायतें आई हैं, ये भी टीम देख रही है। इसकी रिपोर्ट कमिश्नर वाराणसी को भी भेजी गई है।