महर्षि बामदेव तपोस्थली पर लगने वाले 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेले के आठवें दिन श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
1 min readमहर्षि बामदेव तपोस्थली पर 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेला।
कुमारगंज/अयोध्या
भगवान राम के भाई भरत का हुआ था मुंडन, रोजाना पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु महर्षि बामदेव तपोस्थली पर लगने वाले 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेले के आठवें दिन रविवार को भारी भीड़ उमड़ी। लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ मेला देखने और खरीदारी करने पहुंचे। इस मेले का आयोजन हजारों साल पहले से होता आ रहा है। यहां अयोध्या मंडल समेत अन्य जिलों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मेले में फर्नीचर समेत गृहस्थी के लगभग सभी सामान मिलते हैं। महर्षि बामदेव तपोस्थली का उल्लेख पुराणों में मिलता है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। मेला अभी जारी है और आगे भी लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। अयोध्या जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर दक्षिण ओर मिल्कीपुर तहसील के आदर्श नगर पंचायत कुमारगंज में हजारों सालों से यह मेला लगता चला आ रहा है। मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों की दुकानें आकर्षण का केंद्र होती हैं। लकड़ी के फर्नीचर के लिए मशहूर इस मेले में दूर-दराज से लोग सामान की खरीदारी करने आते हैं। मेला प्रबंधक समिति द्वारा मेला व्यवस्था के लिए सुरक्षा वॉलेंटियर और प्रशासन द्वारा भारी पुलिस व्यवस्था भी रहती है। तपोस्थली के पुजारी पण्डित राजू पाण्डेय के गुरु के अनुसार, अयोध्या धाम के राजा दशरथ के छोटे पुत्र भरत का मुंडन संस्कार इसी तपोस्थली पर हुआ था। यहां 51 बीघे में स्थित हरि सागर की सात सीढ़ियां भी सोने की हुआ करती थीं। तपोस्थली के साथ हर सागर का भी करीब 45 करोड़ रुपए की लागत जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वेद पुराणों और रामचरितमानस में भी महर्षि बामदेव तपोस्थली का वर्णन मिलता है। आदि काल से भगवान शंकर का शिवलिंग आज भी विद्यमान है। आश्रम के चारों ओर स्थित वटवृक्ष इसके गवाह हैं। पुजारी पण्डित राजू पाण्डेय बताते हैं कि मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन मूर्तियां और शिलालेख मिले हैं। जिनको आज भी सुरक्षित रखा गया है। धर्मनगरी अयोध्या का यह मेला दक्षिण द्वार के नाम से भी जाना जाता रहा।