भारी अव्यवस्थाओं से जूझ रहा परसवां गौ आश्रय स्थल
खुले आसमान में जीने को विवश गोवंशीय पशु
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भारी अव्यवस्थाओं से जूझ रहा परसवां गौ आश्रय स्थल
खुले आसमान में जीने को विवश गोवंशीय पशु
मिल्कीपुर/अयोध्या
प्रदेश सरकार की ओर से छुट्टा मवेशियों के संरक्षण हेतु मिल्कीपुर क्षेत्र में स्थापित किए गए गौ आश्रय स्थल भारी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं। आश्रय स्थलों में रखे गए मवेशी चिलचिलाती धूप में बिना चारा पानी के बिलबिला रहे हैं। गौ आश्रय स्थलों के जिम्मेदार लोग शासन की ओर से प्राप्त धन का बंदरबांट करने में मशगूल है। उन्हें भूख से तड़प रहे मवेशियों की सुधि नहीं रह गई है। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना केे अंतर्गत माने जाने वाले गौ आश्रय आश्रय स्थल हकीकत देखना हो तो मिल्कीपुर ब्लाक क्षेत्र के परसवां गांव की गौशाला देेख लें। गौ आश्रय स्थल में रखे गए छुट्टे मवेशी अब नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। बरसात के मौसम में हुई तेज बारिश के चलते परसवा गौशाला में पानी भर गया था। जिसके चलते ग्राम प्रधान ने गौशाला के मवेशियों को बगल में ही स्थित हाट बाजार परिसर में शिफ्ट करा दिया था। तब से आज तक वहीं पर चारा पानी मवेशियों को दिया जा रहा है। लेकिन अब उमस भरी गर्मी लगातार बढ़ रही है। जहां पर मवेशियों को रखा गया है, वहां पर छाया की कोई व्यवस्था नहीं है। हाट परिसर में 172 मवेशी रखे गए हैं। लेकिन चारे के नाम पर इनको सूखा गन्ना मशीन से काटकर खिलाया जा रहा है।
भूसा न होने के संबंध में जब ग्राम प्रधान रविंद्र यादव से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि मैंने यहां से लेकर के जिले तक भूसे की तलाश की लेकिन कहीं पर भूसा नहीं मिल रहा है। इस समय जानवरों को गन्ना ही खरीद कर खिलाया जा रहा है। गन्ना भी 340 से 350 रुपए प्रति कुंटल मिल रहा है। सरकार 30 रुपए प्रति जानवर के हिसाब से भुगतान कर रही है। ऐसी दशा में जानवरों को कहां से लाकर चारा खिलाया जाए। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। शासन पैसे की बढ़ोतरी भी नहीं कर रहा है। ग्राम प्रधान ने बताया कि मैंने रेहन पर 18 बीघे खेत में चरी की बुवाई करवा दी है। जब चरी तैयार हो जाएगी तो जानवरों को खिलाएंगे। गौ आश्रय स्थल में जिस तरफ पानी भरा हुआ था, पानी अब धीरे-धीरे सूख रहा है। उसमें भी मक्का व करबी बोया जाएगा। ताकि जानवरों को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में मिलता रहे। जब जानवरों के खुले में रहने की बात की गई तब उन्होंने कहा कि 2 दिन के अंदर लोहे की टिन मंगवा करके हाट बाजार में छवा दिया जाएगा। ताकि मवेशी उमस भरी गर्मी से परेशान न हो। इस प्रकार से गौ आश्रय स्थलों पर भारी अवस्थाएं विद्यमान है जिनके चलते यह गौशालाएं अब गोवंश यह पशुओं के लिए अभिशाप बन गई है।