परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने अब गिरफ्तारी से बचने के लिए दुबई से लगाई अग्रिम जमानत याचिका
1 min readसौरभ शर्मा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दुबई से लगाई अग्रिम जमानत याचिका, भोपाल में शुक्रवार को सुनवाई
ग्वालियर।
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने अब गिरफ्तारी से बचने की कवायद शुरू कर दी है। फरार सौरभ शर्मा ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई है। अभी सौरभ शर्मा के परिवार सहित दुबई में है। उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो चुका है। विशेष न्यायाधीश राम प्रसाद मिश्र की कोर्ट में सुनवाई होगी।
मां ने झूठा शपथ पत्र देकर सौरभ शर्मा को दिलाई थी अनुकंपा नियुक्ति
इस बीच, पता चला है कि सौरभ को नौकरी दिलाने के लिए उसके पिता डॉ. राकेश कुमार शर्मा के निधन के बाद उसकी मां उमा शर्मा ने षड्यंत्र रचा। उनका बड़ा बेटा सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी में था, लेकिन उन्होंने झूठा शपथ पत्र दिया।
नियुक्ति के लिए दिए गए शपथ पत्र में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी का सच छिपाया। शपथ पत्र में लिखा था- बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहता है, वह शासकीय सेवा में नहीं है।इसी शपथ पत्र के आधार पर सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली और फिर वह परिवहन विभाग के दांव-पेंच सीखकर मंत्री और अफसरों के करीब पहुंच गया। परिवहन विभाग की काली कमाई का बड़ा हिस्सा मैनेज करने लगा।
लोकायुक्त पुलिस ने जब्त किए नियुक्ति के दस्तावेज
लोकायुक्त भोपाल से ग्वालियर आई टीम उसके नियुक्ति संबंधी दस्तावेज परिवहन मुख्यालय से जब्त कर ले गई है। इसमें शपथ पत्र भी शामिल है। सौरभ के पिता डॉ. राकेश का निधन 20 नवंबर 2015 को हुआ था।
उनके दो बेटे- सचिन और सौरभ हैं। बड़ा बेटा सचिन उस समय परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में था, क्योंकि वह सरकारी नौकरी में है। वर्तमान में सचिन डिप्टी डायरेक्टर फाइनेंस है।
12 जुलाई 2016 को उमा द्वारा सौरभ की नियुक्ति के लिए शपथ पत्र दिया गया। इसमें लिखा गया कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य शासकीय अथवा निगम मंडल, परिषद आयोग में नियमित या नियोजित नहीं है।
छोटा बेटा सौरभ ही उनकी देखरेख करता है, उसी पर निर्भर हैं, इसलिए सौरभ को नियुक्ति दिए जाने की बात उमा द्वारा शपथ पत्र में लिखी गई। अब मां और सौरभ पर हो धोखाधड़ी की एफआईआर हो सकती है।
एफआईआर के अतिरिक्त शासन को गुमराह कर नौकरी हासिल की गई तो उसने जितने समय विभाग में नौकरी की उसका पूरा वेतन और भत्तों की वसूली भी की जा सकती है।
अफसरों से लेकर मंत्री तक की हर बात की करता था रिकॉर्डिंग
सौरभ के बारे में परिवहन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी दबी जुबान में बताते हैं कि वह मामूली आरक्षक था, लेकिन उसका रहन-सहन अफसरों जैसा था। वह सूट-बूट में रहता था। परिवहन विभाग में बड़े पद पर रहे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सौरभ पर एक मंत्री की कृपा रही। वह इतना शातिर था कि जो अफसर और नेता उसको अपना करीबी मानते थे, उनकी कॉल रिकॉर्डिंग करता था।वह मोबाइल के अलावा ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल करता था। एक माननीय जब बाहर जाते थे तो ड्राइवर तक साथ नहीं जाता था, लेकिन सौरभ साथ रहता था। जहां माननीय रुकते थे, वहीं सौरभ के रुकने का इंतजाम होता था। लेनदेन के सारे गोपनीय काम वह देखता था।